21 दिन बाद बातचीत
किसानों और सरकार के बीच पहले हुई 6 दौर की बातचीत बेनतीजा रही थीं। पिछली मीटिंग 8 दिसंबर को हुई थी। उसके बाद बातचीत का दौर थम गया था और किसानों ने विरोध तेज कर दिया। ऐसे में सरकार ने 3 बार चिट्ठियां लिखकर किसानों को मीटिंग के लिए मनाने की कोशिश की। आखिर किसान बैठक के लिए तो राजी हो गए, लेकिन कहा कि चर्चा उनके एजेंडे पर ही होगी
5 घंटे की बातचीत के बाद आधी बात बनी
पांच घंटे की बातचीत के बाद बिजली बिल और पराली से जुड़े दो मुद्दों पर सहमति बन गई। सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने पर राजी हो गई। इसके बाद किसान नेताओं ने भी नरमी दिखाई। उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया। कृषि कानून और MSP पर अभी भी मतभेद बरकरार हैं।
कृषि कानूनों पर किसानों को मना रही सरकार
तोमर ने बताया, ‘किसान यूनियन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की बात करती रही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की कि किसान की कठिनाई कहां है? जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। MSP के विषय में भी सरकार पहले से कहती रही है कि ये जारी रहेगी। किसानों को ऐसा लगता है कि MSP को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। दोनों मुद्दों पर चर्चा जारी है। हम 4 जनवरी को 2 बजे फिर से इकट्ठा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे
अपडेट
किसानों के समर्थन में पंजाब में लोग रिलायंस जियो के टावर्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए कंपनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री और DGP को चिट्ठी लिखकर दखल देने की मांग की है।
राकेश टिकैत ने कहा कि देश में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है, ताकि सरकार को डर बना रहे। लेकिन, ऐसा नहीं होने की वजह से किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा। कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष को सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहिए।
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