Friday, February 12, 2021

किसान आंदोलन contract farming act

 किसान आंदोलन 2020 से लेकर 2021में जा पहुचा

आखिर सरकार बिल क्यों नहीं वापस ले रही है

आखिर किसान की आंदोलन क्यों नहीं ख़तम हो रही है इस बिल से किस किस को नुकसान है क्या सिर्फ किसान को या देश के पूरे इंसान को आखिर किसे

कुछ बाते ऐसी है जो जानना जरुरी है समझना जरुरी है

तो आइये जानते हैं क्या है ये बिल क्या है इस की सच्चाई किसे है नुकसान

अगर आप सोच रहे है कि कृषि कानून बिल से सिर्फ और सिर्फ किसान को नुकसान है तो ये आप की सोच गलत है इस बिल से सिर्फ किसान को ही नहीं बल्के सभी को नुकसान है जानिए कैसे मै आप को सिम्पल तौर पर बता रहा हू समझिए इसे 

ये जो (contract farming act) है इसमें धारा नम्बर 3 में लिखा गया है केे किसान और बैपारीयो के बीच एक एग्रीमेंट होगा  इस एग्रीमेंट में लिखा होगा के किसान अपनी जमीन पर क्या उगाएगा यह तय बैपारी करेगी फसल के दौरान कितनी बार चेेकिंग है होगी 3 बार चेक किया जाएगा 1 फसल बोने के दौरान 2 फसल जब बढ़ रही होगी 3 फसल जब कट रही होगी उस दौरान चेकिंग किया जाएगा एग्रीमेंट पे ये भी लिखा जाएगा

  1. किसान को अपनी ज़मीन पर कौनसी फसल उगनी होगी
  2. उसका gread क्या होगा उसकी standerd क्या होगा
  3. उसका को उगाने के लिए जो बीज होगा जो खद होगा किटनासक होगा 
  4. जो machenery होगी जो तकनीक होगी उस वो व्यापारी जिसके साथ समझौता हुआ होगा वो देगा

उस एग्रीमेंट पे उसकी कीमत भी होगी जब फसल पक कर तैयार हो जाएगा तो उसे किस कीमत पर व्यापारी खरीदेगा ये भी लिखा जाएगा 

अब मै आप को बताता हो किसान और व्यापारी के बीच  एक एग्रीमेंट हो गया ये सारे फसल अब कहा जाएगा तो जाहिर सी बात है व्यापारी के पास ही जाएगा कितना व्यापारी के पास जाएगा तो पहले लिमिट थी इस कानून के तहत लिमिट हटा दी गई है यानी की जितना जहे व्यापारी खरीद सकता है सिम्पल तौर पर बताता हू यानी सरकार को खरने के लिए एक दाना ना बचा

अब कुछ साल पीछे अजाइए 2013 में जो सरकार थी वो एक कानून बनाया था.82 करोड़ गरीब जनता के लिए

(National food security act)  राष्ट्रीय खाद सुरक्षा कानून जिसमें 82करोड़ गरीब लोगो को राशन जो देना है

  1.    2 रुपए किलो गेंहू
  2.      3 रुपए किलो चावल
  3.      1 रुपए किलो मोटा अनाज

जो देना था वो अनाज सरकार कहा से देगी जब सारा अनाज व्यपारी खरीद लेगा तो गरीब लोगो को देने के लिए सरकार के पास क्या बचा 82 करोड़ जनता को सरकार से जो आसा थी को अब खत्म होता जा रहा है आप कहते हैं कि इस का नुकसान किसान को है जी नहीं इसका नुकसान देश के सभी गरीब जनता को है समझिए इस कानून से 82 करोड़ गरीब सरकार की मदद से घर चलाता था वो अब वो मदद खत्म यानी कि 82 करोड़ गरीब खत्म 5 लाख जो राशन कि दुकानें हैं वो खत्म दुकान में को मजदूर है उसका रोजगार खत्म और तो और फसल में जो कुछ लगते हैं यानी कि बीज खाद दवाइया कीटनाषक मशीन तकनीक वो व्यापारी देगा जिस से समझौता हुआ है सिम्पल तौर पर समझिए खाद की दुकान खत्म बीज की दुकान खत्म मशीन का काम ख़तम दवाइयो की दुकान खत्म इसमें जो मजदूर लगते हैं वो ख़तम मजदूर ख़तम मजदूरी ख़तम गांव के जो व्यापर है उसकी व्यापारी ख़तम व्यापर ख़तम कैसे कह रहे हैं कि किसान को ही नुकसान है गरीब मजदूर दुकानदार छोटा व्यापारी  आम तौर पर रोजगार ख़तम और किसान तो गुलाम बन गया  व्यापारी से किसान की ज़मीन का अग्रीमेंट बन गया किसान अपनी ज़मीन पर जो बोएगा व्यापारी का होगा यानी कि आप उस अनाज मेसे एक दाना नहीं ले सकते मनोकी आप मका बोए है या गन्ना बोए या जो कुछ बोए जब मर्जी होता तोर कर खाते अपनी रिस्तेदारो को भी खूब देते अब ऐसा नहीं है अगर अब आप तोरे तो व्यापारी जाहे तो आप पर केश कर सकता है यानी कि आप अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते सरकार कहती है ज़मीन नहीं जाएगी तो ऐसे जाएगी मानो आप अपनी फसल को कहीं और बेच नहीं सकते और अपनी ज़मीन के बदौलत कुछ कर नहीं सकते अगर आपको पैसों की जरूरत परि तो किसी बैंक से लोन नहीं ले सकते क्योंकि आपका व्यापारी से अग्रीमेंट हुआ है तो आप को व्यापारी से ही पैसा लेना होगा और वो आप पर ब्याज जोड़ेगा यानी ब्याज बड़ता जाएगा अगर आप नहीं दे पाएंगे तो आपकी ज़मीन व्यापारी का हो जाएगा और गरीब किसान कहा से देगा तो कुछ साल पीछे चलते है 

1997 के आस पास जो साहूकार थे एैसे ही करते थे किसान को कर्ज देते और ब्याज जोड़ते कर्ज ब्याज समय पर ना देने पर ज़मीन रख लेते थे 

यानी पहले अपनी ज़मीन पर बंधवा मजदूर बनेगा भीर अपनी ही ज़मीन बेच जाएगा और उसी ज़मीन पर फिर गैर कि तरह से बंधवा मजदूरी करेगा क्या करेंगे ऐसा कानून ले कर और एक बात बतादो जो लोग

अध्यम वर्ग के लोग है

जो रोटी खाते है वो आटा आज 20 ru. 25 ru. किलो मिलता तो सारा अनाज व्यापारी के घर चला जाएगा एक भी दाना इधर उधर नहीं बचेगा तो वहीं व्यापारी 6गुना 7गुना 8गुना दाम में बेच सकता यानी आटा 100 ru. 150 ru. किलो बेचेगा उसकी मर्जी क्या आप कर सकते है कुछ भी नहीं. तो हम सब को चाहिए पूरे देश वासियों को चाहिए इस कानून के विरूद्ध बाहर निकलना चाहिए ये कानून सिर्फ किसान को नुकसान नहीं पहुंचाएगा इससे सभी लोगो को नुकसान है तो सरकार को चाहिए कि जो कानून देश वासियों के लिए गलत है या गलत बन गया है उस वापस ले 

(जय हिन्द                                                                                                 जय भारत 

                             जय जवान                                                                                  जय किसान)


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